Shivratri Special :- शिव की कृपा के लिए करें 5 अचूक उपाय

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Shivratri Special :- शिव की कृपा के लिए करें 5 अचूक उपाय

 

शिव लिंग और ज्योतिर्लिंग मे अंतर क्या है ? निशीथ और प्रदोष काल मे कैसे पूजा करनी है, पारण का समय कब होगा, शुभ मुहूर्त कितने बजे से हैं, शिव रात्रि पर पूजा करने से कौन से ग्रह अच्छा फल देना आरंभ कर देते हैं, का अर्थ क्या है ? आपकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करने क्या करें, कब-कैसे पूजा करनी है, जप कैसे करना है, क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, क्या दान करना चाहिए और किसको दान करना है ? यह सब आपको इस वीडियो मे बताऊंगा,

 

शिव जी के बारे मे जानिए:-

शिवरात्रि, संसार के दृष्टा, संसार के पिता, देवों के देव महादेव, समस्त संसार के गुरु, त्रिगुण से ऊपर  नटराज , संगीत विध्या नृत्य रचयता, योग के जनक,  इंद्रियों के स्वामी, अर्थात आदि गुरु सब कुछ हैं और जो नहीं भी हैं वो भी शिव हैं ।

 

 

महाशिवरात्रि शुभ मुहूर्त:-

सावन की शिवरात्रि:-

6 August 2021

सावन शिवरात्रि शुक्रवार, अगस्त 6, 2021 को

निशिता काल पूजा समय - 12:06  एम से 12:48  एमअगस्त 07

अवधि - 00 घण्टे 43 मिनट्स

7वाँ अगस्त को, शिवरात्रि पारण समय - 05:46 ए एम से 03:47 पी एम

रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - 07:08 पी एम से 09:48 पी एम

रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - 09:48 पी एम से 12:27 ए एम, अगस्त 07

रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - 12:27 ए एम से 03:06 ए एम, अगस्त 07

रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 03:06 ए एम से 05:46 ए एम, अगस्त 07

चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - अगस्त 06, 2021 को 06:28 पी एम बजे

चतुर्दशी तिथि समाप्त - अगस्त 07, 2021 को 07:11 पी एम बजे

 

अर्थात जब तक चतुर्दशी तिथि का समापन न हो जाये तब तक व्रत रखना अनिवार्य होता है।

शिव पूजा करने से कौन से ग्रह अपना अच्छा फल देना आरंभ कर देते हैं?

उत्तर- शनि, शुक्र, गुरु , चन्द्र अपना बुरा प्रभाव देना बंद कर देते हैं, और शनि की साढ़े सती से ज्यादा दुखी हैं तो भी शिव पूजन करने से आपको अच्छा लाभ मिल सकता है।

 

शिव लिंग और ज्योतिर्लिंग मे अंतर क्या है ?

सबसे पहले तो यह जानिए कि लिंग का अर्थ शरीर का हिस्सा नहीं होता बल्कि इस अर्थ होता है प्रतीक, सिम्बल, इसको हम सृष्टि के निर्माण का प्रतीक कहते हैं, और यह शिव जी का निराकार स्वरूप है,

ज्योतिर्लिंग स्वयं बनते हैं, स्वयं भू होते हैं, यह शिव के रूप मे प्राकटय है, और शिव लिंग हम बनवाते हैं, और हम ही उसकी पूजा स्थापना भी करते हैं,

शिव जी की पूजा मे 2 बातों का जानना अति आवश्यक है जो सामान्य पूजा करें उसमे नमः शिवाय का जाप ही करें

और जब कोई विशेष अनुष्ठान करें उसमे ॐ नमः शिवाय का जाप करें,

का अर्थ क्या है ?

ॐ का अर्थ- अकार से शिव हैं उकार  से माँ पार्वती है और म का मकार अर्थ इन दोनों को जोड़ना,  अर्थात ॐ का जाप करने से पुरुष और प्रकीर्ति दोनों का ध्यान हो जाता है, और जी सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात है वो है कि ॐ का जाप सही प्रकार से करें, जो जातक आज के दिन 11 हजार बार इसका जप करेगा उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होगी।

आपकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करने हेतु यह करें-

स्वस्थ्य से संबन्धित समस्या हो तो पारद के शिव लिंग रखें, आर्थिक सुख मे वृद्धि के लिए स्फटिक के शिव लिंग रखें, और इनका नियमित रूप से अभिषेक करना चाहिए,  यदि अध्यात्म के क्षेत्र मे सर्वश्रेष्ठ ऊंचाई चाहिए तो पत्थर का शिव लिंग होना चाहिए,  और यदि कोई बहुत ही बड़ा अनुष्ठान आपने करना हो तो लकड़ी, पंचगव्य, सात तरह के अनाज, और पंचामृत से बने शिव लिंग की पूजा करना चाहिए,

विशेष बात शिव जी से जुड़ी हुई मैं अपने विचार से कहना चाहूँगा कि- बहुत से लोगों के मन मे है कि शिव संहारक हैं-

जबकि शिव ऐसे नहीं हैं, यदि वो ऐसे होते तो योग, तप, शास्त्र, अध्यात्म, दस महाविध्याएन, ध्यान, यह सब कैसे जगत को शिव से मिल पाता और तो और गंगा जी कैसे इस धरती को मिल पातीं, इसीलिए मेरा अपना मानना है कि शिव जी संहारक तो हैं परंतु उसके जो अब सही नहीं है, इसीलिए आत्मा शिव पुरुष हैं और शरीर प्रकृति है तो जब शरीर मे कुछ भी ठीक नहीं होता तब आत्मा उस शरीर को त्याग देती है।  इसीलिए शिव जी हमेशा उसी चीज के संहारक कहे जाते हैं जो गलत है, जो आज कार्य मे नहीं है, जिसका आज कोई अर्थ नहीं है,

कब-कैसे पूजा करनी है, और जप कैसे करना है ?

जल से स्नान, घी से स्नान, दूध से स्नान, दहि से स्नान, फिर त्रिपुंड बनाएँ इसका अर्थ है तीनों लोक के स्वामी, त्रिगुणों के स्वामी भी शिव हैं।

शिव जी का अभिषेक करने के लिए क्या चाहिए वो भी आप लिख लीजिये- चन्दन, गाय के गोबर की राख़, आप इन दोनों को मिला लीजिएगा, और थोड़ा सा चन्दन अलग रख लें  सबसे पहले स्नान करवाएँ, फिर भस्म लगाएँ फिर स्नान, फिर चन्दन, मुकुट पहनाएं, शिव लिंग को आप सजाएँ।

यदि पार्थिव शिव लिंग बनाकर पूजा करते हैं तो इसका आपको बहुत भी अद्भुद फल मिलता है इसको बनने के लिए क्या करना होता है

महाशिवरात्रि का पूजा निशीत काल में करना उत्तम माना गया है।

मेवा, मिट्टी,  अनाज, दहि, मट्ठा, शहद, गाय का गोबर, गंगा जल  चाहिए, कोई विशेष सामाग्री है तो आप वो भी ले सकते हैं  यह सभी चीज एक मितित मे मिला लेना, उसी से शिवलिंग बनाएँ ,

इसके सूखने के बाद आपने षोडशोपचार से शिव जी की पूजा करनी होती है, या रुद्राभिषेक करना है, पूजा का मुहूर्त निशीथकल होगा इसी मे आपको जप और ध्यान करना है,

अब जानते हैं कि महाशिवरात्रि व्रत नियम क्या नहीं करना चाहिए?

शिव जी को तुलसी, के पत्ते और शंख से न पूजें।

शिव जी को किसी भी प्रकार की हल्दी न चढ़ाएँ।

इस दिन किसी से वाद-विवाद न करें चाहे आपका व्रत हो या न हो।

बे-वजह दूध बहाने की जरूरत नहीं, शिव जी को वही सब चाहिए जो आपको मैंने बताया है, अर्थात योग, ध्यान, जप, नाद, तप, अपने कार्य की विशेषता चाहिए ।

क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, क्या दान करना चाहिए और किसको दान करना है?

शिव जी की कृपा पाने के लिए सभी कमजोर व्यक्ति, जानवर की सेवा करें क्योंकि उनके साथ शिव हमेशा खड़े रहते हैं, उनको भी उतना ही प्यार और सम्मान दें जितना आप स्वयं को देते हैं।

इस दिन आपको दिन के समय सोने से बचना चाहिए, और तामसिक भोजन करने से बचना चाहिए।

आपको स्वयं को जानना ही शिव को पाना हो सकता है, शिव जी की पूजा मे आडंबर की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन अनुशासनहीनता भी नहीं चलती है इसीलिए मात्र आधा लीटर दूध, 1 केला, सेब बेल पत्र मात्र चढ़ा देने से शिव जी प्रसन्न नहीं होते हैं, आपको इनको पाने के लिए सच्चा तप करना होता है।

विशेष बात का ध्यान रखे कि:- शिव जी और अन्य किसी भी देवी-देवता की उल्टी सीधी फोटो, पोस्टर बनाएँ और ही उसको प्रचारित करें इससे बहुत ही ज्यादा पाप और दोष लगता है।

 

टिप-जब बच्चा बीमार रहने लग जाये तो जल मे शहद मिलाकर शिव लिंग पर उसके हाथों से अभिषेक करवायें, यह जल मे शहद अच्छे से घुल जाये ध्यान रहे कि यह सभी कार्य बच्चे की ही मेहनत से करवाएँ,